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भारतीय रेलवे की हरित ऊर्जा पहल
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विद्युत कर्षण में नवीन तकनीकी विकास

टीएसएस की सं. कम करने और सेक्शन में गाड़ियों की सं. बढ़ाने के लिए के लिए पूर्वी और पश्चिमी फ्रेट कॉरीडोर में 25,000 वोल्ट के स्थान पर 2x25,000 वोल्ट के ओएचई सिस्टम ।
पश्चिमी फ्रेट कॉरीडोर डबल स्टेक कंटेनर यातायात परिवहन के लिए 7.5 मीटर का हाईराईज़ ओएचई
मापक और र्कॉर्डिंग उपकरणों से युक्त टावर कार: ओएचई के भविष्य के रखरखाव हेतु।
रेल विद्युतीकरण के लिए यांत्रिक वायरिंग ट्रेन

2X25 केवी सिस्टम


2x25 केवी सिस्टम के मुख्य परिचालनिक लाभ

  • उच्च ढुलाई क्षमता
  • 40 किमी के मौजूदा अंतर के अलावा 60-80 किमी के अंतर वाले संवर्धित कर्षण सबस्टेशन
  • वोल्टेज(50 केवी) को डबल होने के कारण उच्च ओएचई करंट वहन क्षमता.
  • बेहतर वोल्टेज नियंत्रण और संचरण लाइनों के नुकसान में कमी.
  • 1x25 केवी से 2×25 केवी सिस्टम तक इंजिनों का निर्बाध परिचालन


हाईरीइज़ ओएचई (7.57 मीटर)




  • • विद्युत कर्षण युक्त डबल स्टेक कंटेनर परिचालन के लिए अपेक्षित
  • • ऊंचाई वाले ओएचई के साथ पूर्व तटीय रेलवे में सफलतापूर्वक ट्रायल किया गया, 7.45 मीटर की पेंटोग्राफ को भी सही तरीके से आशोधित किया गया।
  • • ओएचई की सामान्य ऊंचाई 5.5 मीटर है। पूरा पश्चिमी फ्रेट कॉरीडोर हाईराईज ओएचई युक्त है।
  • • भारतीय रेल मार्गों पर –गुड़गां-मेहसाना,जयपुर-फुलेरा, रेवाड़ी-लुधियाना में हाईराइज ओएचई लगाए गए हैं। कुल 1188 मार्ग किमी।


स्व-प्रणोदित वायरिंग ट्रेन
कैटेनरी और संपर्क वायर को एकसाथ बांधने से विद्युतीकरण की गति में वृद्धि






सेल्फ प्रोपेल्ड मास्ट इरेक्शन वाहन





मापने और रिकॉर्डिंग इंस्ट्रुमेंटेशन के लिए टावर कार
(भविष्य के रखरखाव के लिए)




  • महत्वपूर्ण ओएचई मापदंड जैसे- संपर्क वायर की ऊंचाई, क्रमबद्ध तरीके से लगाना, आरोपण, ढलान आदि की माप एवं रिकॉर्डिंग.
  • संभावित विफलता वाले स्थानों को आइडेंटिफाई कर लिया गया है और समय पर उपचारात्मक कार्रवाई की गई।